Tuesday, October 14, 2025
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केलो डेम की मुख्य नहर में एक किमी तक जगह-लीकेज, अब रिसाव के कारण तेजी से शुरू हुआ मिट्टी का कटाव

*केलो डेम की मुख्य नहर में एक किमी तक जगह-लीकेज, अब रिसाव के कारण तेजी से शुरू हुआ मिट्टी का कटाव*

*करोड़ों की परियोजना में नहर में मिट्टी और सीमेंट का लेप लगा कर रहे खानापूर्ति*

*रायगढ़।* केलो डेम के मुख्य नहर में एक किमी तक जगह-जगह लीकेज आ गई है। जिससे नहर का पानी लीकेज के सहारे जमीन के भीतर से रिसने हुए नहर के दोनों ओर बह जा रहा है। करोड़ों रुपए की लागत से बने नहर के लीकेज को स्थायी रूप से बंद करने के बजाय मिट्टी और सीमेंट का लेप लगा कर खानापूर्ति की जा रही है। जिससे केलो परियोजना विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं।
केलो डेम से निकलने वाले मुख्य नहर की कुल लंबाई 28.31 किमी है, जिसमें से 10.3 किमी की नहर रायगढ़ डिवीजन तो उसके बाद की नहर लाखा डिवीजन के अंतर्गत आती है। अपने रायगढ़ डिवीजन के उर्दना के पास महफिल ढाबा के पीछे नहर में एक किमी के दायरे में जगह-जगह लीकेज आ गई है। इसका दायरा और भी बढ़ सकता है। नहर में लीकेज होने के कारण नहर का पानी जमीन के भीतर रिस रहा है। जिससे नहर के बगल में स्थित मिट्टी धंसकने लगी है। जिससे यहां भू-स्खलन का खतरा मंडरा रहा है। इधर जगह-जगह लीकेज के कारण नहर की क्षमता भी कम होती जा रही है। जिससे कभी भी नहर ढह सकती है। इतने बड़े प्रोजेक्ट और करोड़ों की लागत से बने नहर के लीकेज को भरने केलो परियोजना विभाग उसमें मिट्टी और सीमेंट का लेप लगा कर खानापूर्ति कर रहा है। जिससे नहर में पानी भरते ही इसके फिर से खुल जाने की संभावना बनी हुई है।

*अब तक ढूंढ रहे लीकेज, कब होगा सुधार?*
इस नहर में 24 जुलाई का लीकेज आने की जानकारी विभाग को मिली, लेकिन विभाग ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। अभी कुछ दिनों पहले ही विभागीय कर्मचारी नहर में उतर कर लीकेज ढूंढना शुरू किए हैं। अब तक तीन स्थानों पर मरम्मत जैसा कुछ किया गया है। ऐसे में कब तक इस लीकेज का सुधार होगा इस बारे में फिल्ड पर काम करने वाले कर्मचारी भी नहीं बता पा रहे हैं। जबकि खास बात यह है कि भले ही डेम से नहर में पानी छोडऩा बंद कर दिया गया है, लेकिन नहर में अभी भी कमर तक पानी भरा है। जिससे अधिकारी पानी के उपर ही जहां गड्ढे या दरार जैसी लीकेज नजर आ रहे हैं उन्हीं को चिन्हांकित कर उसे समतल कर रहे हैं। जबकि पानी के भीतर नजर में कहां-कहां लीकेज है इसका किसी को अंदाजा भी नहीं है। इसकी जानकारी तभी मिल सकती है जब नहर पूरी तरह खाली हो, लेकिन नहर में बारिश और पहाड़ का प्राकृतिक पानी भी आ रहा है। जिससे नहर की हालत खतरे में है।

*हर साल नहर में आ जाती है लीकेज*
मौके पर उपस्थित केलो परियोजना के कर्मचारियों ने बताया कि जिस स्थान पर अभी लीकेज की बात सामने आई है उसी स्थान में हर साल लीकेज की समस्या बनी रहती है। इस लीकेज को दूर करने विभाग द्वारा कोई स्थायी विकल्प नहीं ढूंढा जा रहा है। ऐसे में मिट्टी और सीमेंट का लेप कुछ ही माह में फिर से बह जा रहा है। कर्मचारियों ने बताया कि ज्यादातर लीकेज उन्हीं स्थानों में हो रहे हैं, जिन्हें पूर्व में सुधारा गया था। ऐसे में करोड़ों की नहर में आई लीकेज में कुछ बोरी सीमेंट और मिट्टी भर कर खानापूर्ति की जा रही है।

*निजी जमीन को काट कर खेत में जा रहा पानी*
रायगढ़ से लाखा मुख्य मार्ग के किनारे बाएं साइड में स्थित महफिल ढाबा के बगल में एक निजी जमीन है। नहर का पानी जमीन के भीतर से रिसते हुए और मिट्टी को काटते हुए निजी जमीन को भी काट रही है। नहर का पानी जमीन को काटते हुए कुछ दूर आगे एक किसान के खेत में जा रही है। जिससे उसके फसल बर्बाद होने की आशंका भी मंडरा रही है। इसी तरह यही पानी एक स्थान से डायवर्ट होकर सडक़ के नीचे बने अंडर ग्राउंड पुल से होते हुए उस पार भी कई किसानों के खेतों में जा रही है। अगर यहां निजी जमीन नहीं होती तो लाखों लीटर पानी मुख्य मार्ग पर बहता। लगातार पानी के बहने से निजी जमीन भी अंदर से खोखली हो रही है। जिससे जमीन मालिक चिंतित नजर आ रहा है।

*दो साल पहले भी टूटी थी नहर*
दो साल पहले भी नहर के इसी स्थान से करीब 100 मीटर आगे महामंदिर के पास नहर टूट गई थी। जिससे डेम का लाखों लीटर पानी व्यर्थ बह गया था। इस घटना के बाद नहर निर्माण की गुणवत्ता पर भी सवाल उठने लगे थे और केलो परियोजना सब डिवीजन विभाग रायगढ़ की भी काफी किरकिरी हुई थी। बखेड़ा बढ़ता देख विभागीय अधिकारियों ने किसी तरह लीपापोती कर मामले को शांत किया था, वहीं एक बार फिर उसी तरह की स्थिति निर्मित हो रही है।

*पानी के लिए तरस रहे किसान*
बारिश में भी किसानों को खेती-किसानी के लिए पानी की किल्लत हो रही है। केलो परियोजना को बनाने का उद्देश्य यही था कि इससे किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जा सके। अभी जब किसानों को पानी की जरूरत है तब नहर की हालत खराब है। जिससे डेम से नहर में पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। वहीं इंद्र देव भी किसानों पर मेहरबान नजर नहीं आ रहे हैं। जिससे किसान खरीफ की फसलों को कैसे सिंचे यह सो-सोच कर चिंतित हैं।
*वर्सन*
नहर में जगह-जगह आई लीकेज को रिपेयर के लिए प्राकलन बना कर अधीक्षण अभियंता खरसिया को भेजे हैं और मौके का निरीक्षण के लिए बुलाए हैं। वो आकर देखेंगे और अपना मार्गदर्शन देंगे। इसके बाद ही कुछ कह पाएंगे कि नहर में सुधार कार्य कब तक होगा।
*एमके गुप्ता, ईई, केलो परियोजना*

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