बकायदारों में नगरीय निकाय सबसे आगे, बिजली विभाग खेल रहा नोटिस का खेल
रायगढ़। जिले के 60 से अधिक राज्य और केन्द्र के शासकीय विभागों पर विजली विभाग का करीब 1 अरब रुपए का बकाया है। बकाएदारों में नगरीय निकाय सबसे आगे है। इन बकाया बिलों के भुगतान के लिए अभियान चलाने के बजाय बिजली विभाग नोटिस का खेल खेल रहा है। इनकी कार्रवाई की जद में सिर्फ आम लोग ही आ रहे हैं।
जिले के सरकारी विभाग मुफ्त में बिजली का उपयोग कर रहे हैं। क्योंकि अधिकांश विभागों ने सालों से बिजली बिल का भुगतान नहीं किया है। जिससे अधिभार मिला कर ये राशि करोड़ों रुपए तक पहुंच गई है। बकायदारों की लिस्ट में सबसे आगे नगरीय निकाय है। नगर निगम और नगर पंचायतों का नल-जल, स्ट्रीट लाइट सहित अन्य मिलाकर करीब 62 करोड़ रुपए का बकाया है। जबकि दूसरे स्थान पर ग्राम पंचायतें हैं। इनका भी करीब 16 करोड़ रुपए बिल बकाया है। बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सभी बकायदारों को समय-समय पर नोटिस भेजकर भुगतान करने के लिए रिमाइंड कराया जाता है, लेकिन इसका परिणाम कुछ भी नहीं निकलता। विभागों के पास फंड होने के बाद भी बिल भुगतान में कोई रूचि नहीं दिखाते। जिससे सरकार का पैसा सरकारी दफ्तरों में ही अटका हुआ है। कुछ विभाग ऐसे हैं, जो पिछले पांच सालों से बिजली बिल का भुगतान नहीं कर रहे हैं। इससे बिजली विभाग को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। अधिकारियों की मानें तो नगरीय निकायों के पास उतना अतिरिक्त फंड नहीं रहता है। निकाय की ओर से टैक्स जरूर लगाए जाते हैं, लेकिन वो इनकी वसूली ही नहीं कर पाते हैं। हालांकि निगम के अधिकारियों का कहना है कि किश्तों में बकाया बिल का भुगतान किया जा रहा है।
*आम जनता पर बरतते हैं सख्ती, काट देते हैं बिजली*
बिजली विभाग द्वारा सिर्फ आम जनता पर ही सख्ती बरती जाती है। अगर किसी उपभोक्ता का 10 हजार रुपए का बिल बकाया हो जाए तो विभागीय अधिकारी तत्काल दल-बल के साथ संबंधित उपभोक्ता के घर पहुंच जाते हैं। वहीं उसके लाख निवेदन, आग्रह के बाद भी उसकी बातों को अनसुना कर बिजली काट देते हैं। यहां अधिकारियों द्वारा उपभोक्ता को कुछ माह का समय भी नहीं दिया जाता। वहीं जब बात सरकारी विभागों की आती है तो राम-श्याम भाई-भाई की तर्ज पर सब शांत पड़ जाते हैं।
*आर्थिक स्थिति ठीक, फिर भी नहीं कर रहे भुगतान*
नगरीय निकाय को छोड़ दिया जाए तो कई सरकारी विभाग ऐसे हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक है। अलग-अलग कामों के लिए पर्याप्त बजट भी उपलब्ध है, जिसमें बिजली बिल भी शामिल है। बावजूद इसके अधिकांश विभाग समय पर बिल का भुगतान नहीं कर रहे हैं। यही कारण है कि बकाया राशि में बढ़ोत्तरी हो रही है।
*राज्य शासन के इन सरकारी विभागों का सबसे ज्यादा बकाया*
*विभाग* – *राशि*
ग्राम पंचायत (नल-जल, स्ट्रीट लाइट) – 16 करोड़ 1 लाख 29 हजार
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग – 35 लाख 97 हजार
नगरीय निकाय (नल-जल, स्ट्रीट लाइट, अन्य) – 61 करोड़ 90 लाख 61 हजार
महिला एवं बाल विकास विभाग – 1 करोड़ 56 लाख 58 हजार
स्कूल शिक्षा विभाग – 4 करोड़ 97 लाख
उच्च शिक्षा विभाग – 25 लाख 62 हजार
स्वास्थ्य विभाग – 83 लाख 44 हजार
पुलिस विभाग – 57 लाख 4 हजार
आदिम जाति कल्याण विभाग – 48 लाख 79 हजार
राजस्व विभाग – 37 लाख 49 हजार
वन विभाग – 54 लाख 80 हजार
आवास विभाग (हाऊसिंग बोर्ड) – 33 लाख 70 हजार
खेल एवं युवा कल्याण विभाग – 25 लाख 7 हजार
*(नोट : इस तरह राज्य शासन और केन्द्र शासन के सरकारी विभागों का कुल 90 करोड़ 36 लाख 10 हजार रुपए का बिजली बिल बकाया है।)*
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*वर्सन*
पुराना बकाया बिजली बिल का भुगतान करवाने के लिए मंत्रालय और सचिव स्तर पर फाइल बनाकर भेजी जाती है। अधिकांश विभागों से किश्तों में बिलों का भुगतान भी किया जा रहा है। जो विभाग लंबे समय से बिल नहीं पटा रहे हैं उन्हें नोटिस भेज कर रिमाइंडर किया जा रहा है।
*रामकुमार राव, ईई, रायगढ़ डिविजन*