वर्षा काल में नदी नाले उफान पर, रेत की कीमत बढ़ी, एक ट्रेक्टर 3 हजार, हाइवा 18 हजार के पार
जिले में अवैध घाटों में माफिया का राज, डंप रेत बेच रहे है बाजार में ठेकेदार और मकान मालिक परेशान
खनिज विभाग के नाक के नीचे बीच शहर में हो रही अवैध रेत की तस्करी, विभाग मौन
रायगढ़। वर्षा के चलते नदी नाले उफान पर होने से रेत की आपूर्ति रेत के कारोबारी माफिया की कीमत को बढ़ा दिए है। जिसमे 90 फीट ट्रेक्टर ट्राली में रेत का दर 3000 रुपये हो गया है। जबकि एक हाइवा 18000 के पार हो चुका है। कीमत बढ़ने से इसका असर निर्माणधीन मकान के मालिकों तथा ठेकेदारों पर आर्थिक बोझ के रूप में उनके जेब पर पड़ रहा है।
वर्षा के मौसम से पहले केलो नदी, मांड, एवं ग्रामीण अंचल के छोटे बड़े नदियों से के बिना रायल्टी की ओवरलोड हाईवा, ट्रेक्टर व अन्य गाड़ियों से बालू डम्प की गई थी।
जबकि इन दिनों वर्षा का मौसम है, जिससे नदी उफान पर है रेत घाट जलमग्न हैं। जिसमें अगस्त के शुरुआती दिनों से लेकर वर्तमान में इसकी कीमत में भारी इजाफा हो गया है।
अवैध रूप से घाटों से निकाले गए रेत
और डंप रेत को ट्रैक्टरो के माध्यम से शहरों में खपाने का काम किया जा रहा हैं। इसमें भी मनमानी कीमत ली जा रही हैं।
ट्रैक्टर में बालू लोड करने वालों से इस विषय में जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि अधिकांश रेत घाट जलमग्न है और रेत निकल नही पा रहा है। इसके अलावा वाहन अगर जाता भी है तो फंसने व अन्य कई तरह के खतरे की आशंका बनी रहती हैं। इन परिस्थितियों को देखते हुए बड़े ठेकेदार व घाट कब्जा करने वाले लोग पहले से ही विभिन्न माध्यमों से रेत का खनन कर विशालकाय भंडार क्षमता से 10 गुना अधिक डंप कर लेते है। इसका लाभ वे इन दिनों ले रहे है। अधिक लाभ कमाने के चक्कर मे रेतो का तस्करी एवं मनमाने दर पर खपाया जाता है। जिसका असर मकान निर्माण करने वाले लोगो के जेब एवं ठेकेदारों के कार्यो पर पड़ रहा है।
ओवरलोड गाड़ियां कर रही सड़क हो रही है बदहाल
शहर व ग्रामीण अंचल में अवैधानिक रूप से चल रहे रेत तस्करी को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। शहर के बीच रेत तस्करी का काम चल रहा है और खनिज विभाग को इसकी भनक तक नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है? पीडब्ल्यूडी विभाग एवं ग्रामीण सड़क से जुड़े विभाग के लिए नासूर बने ओवरलोड गाड़ियों के सड़कों की क्षमता से अधिक परिवहन होने से सड़कों का हाल बेहाल हो रहा है। सड़क समय के पहले जीर्णशीर्ण हो रही है। जिला प्रशासन के विभागीय आपसी तालमेल की कमी की वजह से राजस्व का नुकसान हो रहा है। जबकि विभागीय अधिकारी सदैव दूसरे विभाग की जिम्मेदारी बताकर अपना पल्ला झाड़ते हैं।
महानदी, मांड, केलो में 40 से अधिक रेत घाट, एक ही वैध
जिले में अधिकांश रेत घाट स्वीकृति के बैगेर ही चल रहे है। यहां प्रतिदिन हजारों घन मीटर रेत का खनन विभिन्न नदियों के तट को चीर कर किया जाता रहा है। इसमे केलो नदी, महानदी, मांड नदी भी शामिल है। रेत माफिया रेत की तस्करी कर रहे है। शासन को राजस्व रॉयल्टी का नुकसान तक पहुचा रहे है। इसके अलावा पर्यावरण व प्रकृति की दिशा दशा दोनो बदहाल हो रही है। इस पर जिम्मेदार विभाग मूकदर्शक बना हुआ है। बताया जाता है कि जिले में छोटे-बड़े 40 से अधिक रेत खदान का संचालन हो रहा है। जिसमे कई बड़े रेत घाट नीलाम होने के बाद भी स्वीकृति के लिए लटकी है। इस वजह से जिले में केवल एक रेत घाट वैध है।
रेत की कीमत बढ़ी आम आदमी और ठेकेदार परेशान
रेत खनन व परिवहन में लगे वाहनो को सीएम आदेश मिलते ही धरपकड़ आरम्भ कर दिया गया। जिससे जिनके पास रायल्टी है वे भी कानूनी भय से रेत परिवहन करने में कतराने लगे हैं इसका असर अब निर्माण कार्य में पड़ने लगा है। जिसमें निजी और सरकारी क्षेत्र में चल रहे अधोसंरचना निर्माण कार्य मे रेत की किल्लत होने लगी है। अगर कही से रेत उपलब्ध भी हो रही है तो उसकी कीमत तिगुना हो गया है।
कीमत पर एक नजर
रेत ट्राली बड़ा कीमत 2600-2800- रुपये ( 90 फीट)
रेत ट्राली बड़ा रुपये 3000-3200 ( 120 फीट)
रेत बड़ा डंफर 7500 रुपये
नोट- स्थानीय ट्रेक्टर मालिक के बताए अनुसार है।