नेशनल हाइवे 49 और शहर में मवेशियों का जमावड़ा, आमजन के साथ बेजुबानों की जान असुरक्षित, जिम्मेदार मौन…??

न्यायधानी की घटनाओं से हाईकोर्ट है सख्त, मवेशियों को खुला छोड़ने पर मालिकों पर जुर्माना का प्रविधान बावजूद कार्रवाई और धरपकड़ नदारद
शासन ने प्रति मवेशी 350 रुपये और खुराकी के लिए 150 रुपये का जुर्माना किये है निर्धारित
रायगढ़।
रायगढ़ बिलासपुर नेशनल हाईवे में सड़क दुर्घटनाओं से आम लोगों की जान तो जा रही थी अब मवेशी भी सड़क पर सुरक्षित नहीं है। आलम यह है कि आए दिन भरकर मवेशियों की तादाद हाइवे रहती है जहां रेलमपेल भारी वाहनो की आवाजाही से दुर्घटनाओं में वे मृत हो रहे है जबकि राहगीरों में भी दुघर्टना से चोटिल होने की घटनाएं सामान्य हो चुकी है जो कभी बड़ी जनहानि की ओर आशंकित कर रहा है। इन परिस्थितियों के बाद भी जिम्मेदार इस दिशा मौन है।
दरअसल शासन द्वारा शहरी क्षेत्र में आवारा मवेशियों को छोड़ने वाले को ऊपर कार्रवाई का प्रविधान रखा है जिसमें प्रति मवेशी 350 रुपये और खुराकी के लिए 150 रुपये प्रतिदिन तय किया है। इसी तरह पंचायत क्षेत्र में भी प्रविधान रखा गया है, लेकिन निगम प्रशासन तथा संबंधित ग्रामीण अंचल के जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा इस दिशा में कोई भी कार्रवाई नहीं कर रही है। जिसका असर सड़को में दिखाई दे रहा है। शहर के मुख्य मार्ग टीवी टॉवर, कोतरा रोड, चक्रधर नगर, ढिमरापुर, कोतरा रोड बाइपास, गौशाला,यातायात थाना केवड़ा बाडी बस स्टैंड व अन्य दर्जन भर सड़कें है जहां सड़को में बेसहारा मवेशियों के जमावड़ा रहता है। चौक-चौरहें में मवेशियों का दंगल होता रहता है। इसके नेशनल हाइवे 49 रायगढ़ बिलासपुर ओड़िसा को जोड़ने वाले मार्ग में भी कुछ इसी तरह का नजारा आम हो चुका है। यह लोगो की जानमाल पर आफत बनती है। उधर हाइवे रोजाना हादसे भी हो रहे हैं। नगर निगम समेत प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों से इस संबंध में शिकायत भी हो चुका है फिर भी सड़को से मवेशियों के झुंड को खदेड़ने के लिए कोई पहल नही की जा सकी है। देखा जाए तो शहर में मवेशियों के जमावड़े का मुख्य कारण पशु पालक है, वे घर मे मवेशियों को रखने के बजाए सड़को में खुला छोड़ देते है। जिससे मवेशी और सड़क पर चलने वाले लोग दोनों दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं, यह दुर्घटना हाइवे में रात के समय अधिक होती है। इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में दिन में सड़को में जाम का सबब भी बनता है।
तत्कालीन सरकार की गोठान खंडहर बनकर बनने लगा स्मारक
जनता एवं जनप्रतिनिधियों ने सड़को में मवेशियों के कारण होने वाली परेशानियों को देखते हुए करीब 5 साल पहले
तत्कालीन सरकार ने संबलपुरी गोठान बड़े स्तर में निर्माण कराया। बेसहारा मवेशियों को यहां पकड़ कर लाया जाता रहा था परंतु सरकार बदलते ही योजना खटाई में चली गईं।वर्तमान मे गोठान खंडहर बनकर अब स्मारक के तौर पर बनने को आतुर है। इसके साथ ही जनता की मानो गाढ़ी पैसे की बर्बादी की गई हो।
पशुपालको पर जुर्माना निर्धारित, पर नही होती है कार्रवाई
शासन ने मवेशियों के मालिकों को सुधारने के लिए सख्त कार्रवाई के निर्देश है। इसके लिए मालिकों पर 350 रुपए प्रति मवेशी जुर्माना और 150 रुपए के हिसाब रोजाना खुराकी वसूल करना है, लेकिन निगम न तो ऐसे मवेशियों को पकड़ने में दिलचस्पी दिखा रही और न ही मालिकों पर जुर्माना कर रही है। निगम की इस लापरवाही के चलते लोगों को इसका खामियाजा चोटिल तो कही जान गवांकर होकर उठाना पड़ रहा है।
नेशनल हाइवे 49 और शहर में मवेशियों का जमावड़ा, में जमावड़ा बना जानमाल पर खतरा

शहर की सड़कों में दिन हो या रात के समय चौक- चौरहें, गली मोहल्ले में सड़कों पर मवेशी बैठे रहते हैं। अंधेरे में दिखाई नहीं देने के कारण सड़क हादसे का डर बना रहता है। इसके साथ ही नेशनल हाइवे में वाहनो की रफ्तार रात में अप्रत्याशित रहती हैं। जिसके चलते एकाएक मवेशी के झुंड दिखाई देने पर भारी वाहन के चालक वाहन पर नियंत्रण नही रख पाते है जिसके चलते दुर्घटना होती है , और अधिकांश घटनाओं में मवेशी मृत अवस्था में सुबह नजर आते है।
हाइवे और अन्य सड़को में 200 से अधिक मवेशी मृत
शहर से निकलने वाले नेशनल हाइवे में सबसे अधिक दुर्घटना घटित हो रही हैं। इन दुर्घटनाओं में आम लोग के साथ मवेशी भी शामिल है। देखा जाए तो कई बार हाइवे में रात्रि में थोक स्तर सड़क दुर्घटना में मवेशियों की जान जा चुकी है। एक आकंड़े के मुताबिक करीब दो साल में 200 से अधिक की संख्या हाइवे और अन्य सड़को मवेशी मृत हो चुके है। वहीं मृत बेसहारा मवेशियों का रिकार्ड किसी विभाग में नही दर्ज होता है अन्यथा यह संख्या बढ़ सकती है।