Monday, October 13, 2025
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मेडिकल माफियाओं के चंगुल में फंसी सरकार की महात्वाकांक्षी योजना

आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी हितग्राहियों को इलाज के लिए खर्च करने पड़ रहे पैसे

मेडिकल माफियाओं के चंगुल में फंसी सरकार की महात्वाकांक्षी आयुष्मान योजना

निजी अस्पताल संचालक करोड़ों रुपये का भुगतान नहीं होने का रो रहे हैं रोना

जनकर्म न्यूज

रायगढ़। आयुष्मान स्वास्थ बीमा योजना के तहत इसके कार्डधारकों को इलाज में पांच लाख रुपये तक का सहयोग मिलता है। जिनके पास आयुष्मान योजना का कार्ड है वे किसी भी अस्पताल में पैकेज के अनुसार निशुल्क इलाज करवा सकते हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के पास कार्ड पड़ा है और बाहर से हजारों रुपये देकर वे दवा खरीद रहे हैं। दूसरी ओर निजी अस्पतालों में भी बकाया का बताकर एक लाख के अंदर का इलाज किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में विशेषज्ञों की कमी के कारण गरीब लोगों को निजी क्षेत्र के अस्पतालों में इलाज करवाने के लिए मजबूर होना पड़ता है, और उन्हें भारी मात्रा में पैसे खर्च करने पड़ते हैं। जिले में आयुष्मान योजना के अंतर्गत 5 लाख 41 हजार 110 लोग पात्र है।

केंद्र सरकार की सफल आयुष्मान भारत योजना जिले में पूरी तरह मेडिकल माफियाओं के चंगुल में फंसी हुई है। पीड़ित परिवारों के द्वारा जो आरोप लगाए जा रहे हैं वे उन आरोपों को पुख्ता कर रहे हैं कि मेडिकल माफिया की सरकारी योजनाओं में घुसपैठ है। दूसरी और गरीबों को सही इलाज भी नहीं मिल पा रहा है। इससे भी बड़ी दिक्कत यह है कि आयुष्मान कार्ड से हार्निया, अपेंडिक्स, नसबंदी, पाईल्स जैसी 196 आम बीमारियों की सर्जरी और इलाज से निजी अस्पतालों को बाहर कर दिया गया है। इन बीमारियों का निशुल्क इलाज केवल सरकारी अस्पतालों में ही उपलब्ध है। इलाज में अधिक का बजट आने पर मरीजों को खुद से पैसे की व्यवस्था कर इलाज करने को कहा जा रहा है। निजी अस्पताल संचालक करोड़ों रुपये का भुगतान नहीं होने का रोना रो रहे हैं, तो सरकारी अस्पताल में ऐसे मरीजों को पूछने वाला कोई नहीं है। ऐसा नहीं कि लाभ बिल्कुल नहीं मिल रहा है लेकिन पूरी तरह निशुल्क सेवा नहीं मिल रही है।

गाइडलाईन के अनुसार कर रहे काम सीएमएचओ

इस संबंध में सीएमएचओ डॉ. अनिल जगत ने बताया कि आयुष्मान कार्ड में गाईड लाइन का निर्धारण शासन स्तर से किया जाता है। जहां दो तरफा सर्जरी होना है वहां एक साथ संभव नहीं है। इसलिए ये व्यवस्था है। सरकारी अस्पतालों में सभी तरह के मरीजों का ईलाज उपलब्ध है, किंतु निजी अस्पतालों से बहुत सारे तरह के आयुष्मान इलाज की सुविधाएं हटाने के पीछे प्राईवेट डॉक्टर और कतिपय मरीज दोनों जिम्मेदार हैं।

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