Tuesday, October 14, 2025
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सिर्फ एक माह में मिले डेंगू के 900 मरीज, अब तक के सारे रिकार्ड ध्वस्त

सिर्फ एक माह में मिले डेंगू के 900 मरीज, अब तक के सारे रिकार्ड ध्वस्त

अप्रैल से अगस्त तक कुल मरीजों की संख्या हुई 1300,

शासन-प्रशासन की कार्यशैली पर लगा प्रश्न चिन्ह


रायगढ़। सिर्फ एक माह में डेंगू के 900 मरीज मिले हैं। जिससे अब तक सारे रिकार्ड ध्वस्त हो गए हैं। अप्रैल से अगस्त तक कुल मरीजों की संख्या 1300 हो गई है। जिससे शासन-प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लग गया है और लोग दहशत के साए में जीने को मजबूर हो गए हैं।
दरअसल जब से रायगढ़ में डेंगू ने पांव पसारा है तब से लेकर अब तक का सफर काफी घातक रहा है। डेंगू मच्छर के डंक से कइयों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है। 2010 से अब तक की बात करें तो पूरे सालभर में जितने डेंगू के मरीज नहीं मिले, उससे ज्यादा इस साल के सिर्फ एक माह अगस्त में मिले हैं। अगस्त माह में 900 नए मरीजों की पुष्टि हुई है। जिसने अब तक के सारे रिकार्ड को तोड़ दिया है। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन डेंगू को लेकर क्या कर रहा है। अधिकारी दफ्तरों में, बैठकों में सिर्फ दिशा-निर्देश ही दे रहे हैं, जबकि धरातल में इसका कोई असर नजर नहीं आ रहा है। इस साल रायगढ़ में अप्रैल माह से डेंगू मरीजों के मिलने की शुरुआत हुई है। अप्रैल से 10 सितंबर तक 5 माह में ही कुल 1300 डेंगू के मरीज मिल चुके हैं। जोकि अपने आप में एक नया रिकार्ड है। यही कारण है कि रायगढ़ पूरे प्रदेश में डेंगू को लेकर बदनाम है। कुछ दिनों तक प्रशासनिक अधिकारी डेंगू को लेकर चिंतित थे, लेकिन अब वो इस ओर गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। जिससे डेंगू मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। जबकि शहर में ही एक महिला की डेंगू से मौत हो चुकी है। इसके बाद भी शहर के गली-मोहल्लों में न तो ठीक से सफाई हो रही है और न ही बारिश के जाम पानी में डेंगू के लार्वा को खत्म करने कोई उपाय किए जा रहे हैं। अगर ऐसा ही रहा तो पिछले साल की तरह इस साल भी शहरवासियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। पिछले साल जिस तरह एक-एक कर शहर के तीन नवजवानों की डेंगू से मौत हुई थी, उसी तरह इस साल भी ऐसी कोई अनहोनी घटना घटित न हो जाए इससे शहरवासी दहशत में हैं।
वार्डों में दवा का छिडक़ाव भी बंद
डेंगू को लेकर जब शहर में हाहाकार मचा, लोग सोशल मीडिया में नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल उठाने लगे तब निगम द्वारा कुछ दिन वार्डों में दवा का छिडक़ाव कर फागिंग मशीन चलाया गया। वर्तमान में यह अभियान भी बंद है। कुछ वार्डों के लोगों ने बताया कि सिर्फ एक बार उनके वार्ड में दवा का छिडक़ाव हुआ था इसके बाद निगम के कर्मचारी नजर ही नहीं आए।
लापरवाही पड़ सकती है भारी : डॉ. नायक
इस संबंध में मेकाहारा के डॉ. जितेन्द्र नायक ने बताया कि कई बार लोग डेंगू का लक्षण होने के बाद भी उसकी जांच कराने, हॉस्पिटल जाने के बजाय मेडिकल से दवा लेकर अपना गुजारा कर लेते हैं। वहीं स्थिति हाथ से निकल जाती है तो अस्पताल पहुंचते हैं, तब तक कइयों का प्लेट्लेट्स काफी डाउन हो चुका होता है, ऐसे स्थिति में मरीज को सर्वाइप कर पाना मुश्किल होता है। इस साल मेकाहारा में इस तरह के कई मरीज आ चुके हैं। हालांकि इलाज के बाद वो स्वस्थ्य हो चुके हैं, लेकिन ऐसी लापरवाही उनके लिए हानिकारक भी हो सकती है। डॉ. नायक की मानें तो डेंगू को हल्के में न लें और उसके लक्षण मिलने पर तुरंत जांच कराएं, ताकि उसके इलाज में भी सुहूलियत हो।
न लोग हो रहे जागरूक न निगम प्रशासन हो रहा गंभीर
शहर में जगह-जगह फैली गंदगी, कचरों के ढेर से मक्खियां, मच्छर पनप रहे हैं। इस दिशा में निगम के सफाई व्यवस्था की पोल खुल कर सामने आ रही है। यह जानते हुए भी कि शहर में अभी डेंगू, मलेरिया, डायरिया, स्वाइन फ्लू जैसी बीमारी फैल रही है बावजूद इसके लोग जागरूक नहीं हो रहे हैं और खुद ही गंदगी फैला रहे हैं। शहर के पोस्ट ऑफिस के पीछे, गांधी गंज, मालधक्का स्टेशन रोड, अशर्फी देवी महिला चिकित्सालय के सामने, बोईरादादर रोड इसके जीते-जागते उदाहरण हैं। इतना ही नहीं मोदी नगर के प्रवेश मार्ग में करीब 200 मीटर के हिस्से को स्थानीय लोगों ने कचरा डंपिंग यार्ड बना दिया है। सडक़ के नीचे कचरों के अंबार में बारिश का साफ पानी भी जाम हो रहा है, जिससे डेंगू होना लाजिमी है। ऐसे लोगों पर न तो निगम प्रशासन कड़ाई बरता रहा है और ही इन कचरों की नियमित सफाई हो रही है।
डेंगू के आंकड़ों पर एक नजर
वर्ष – एलाइजा पॉजिटिव
2010 – 0
2011 – 1
2012 – 3
2013 – 0
2014 – 2
2015 – 1
2016 – 14
2017 – 55
2018 – 129
2019 – 269
2020 – 3
2021 – 124
2022 – 2
2023 – 320
2024 – 1300

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