Tuesday, October 14, 2025
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कचरे के ढेर पर शहर, भगवान भरोसे सफाई व्यवस्था डेंगू, मलेरिया व स्वाइन फ्लू जैसी बीमारी के बाद भी गंभीर नहीं निगम

कचरे के ढेर पर शहर, भगवान भरोसे सफाई व्यवस्था
डेंगू, मलेरिया व स्वाइन फ्लू जैसी बीमारी के बाद भी गंभीर नहीं निगम

जनकर्म न्यूज
रायगढ़। डेंगू, मलेरिया, डायरिया, स्वाइन फ्लू जैसे महामारी के दौर में भी अपना रायगढ़ शहर कचरों के बीच बसा हुआ है। निगम की सफाई व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। शहर सहित जिलों में इस तरह की बीमारी फैलने के बाद भी निगम प्रशासन व शहर सरकार अंजान बनी हुई है। जिसका खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है।
दरअसल शहर के सभी 48 वार्डों में ऐसी कोई जगह नहीं जहां कचरों का ढेर नजर नहीं आए। इतना ही नहीं मुख्य मार्गों सहित चौक-चौराहों में भी लोगों को गंदगी के बीच से गुजरना पड़ता है। क्योंकि इन कचरों का नियमित उठाव ही नहीं होता है। इसी तरह शहरी क्षेत्र के नालियों में भी गंदगी का आलम है। कुछ वार्डों के लोगों ने कहा कि यहां साल में एक बार नाली की सफाई हो जाए तो काफी है। इन्हीं गंदगी के कारण शहर में बीमारी फैलने लगी है पर जनप्रतिनिधि और अधिकारियों का कोई रोल नजर नहीं आ रहा है। निगम के दफ्तर, जन समस्या निवारण शिविर, टोल फ्री नंबर इन सारी जगहों में शिकायत करने के बाद भी शहरवासियों को कचरों और बजबजाती नालियों से मुक्ति नहीं मिल पा रही है।
इसका प्रमुख कारण यह है कि निगम के अधिकारी सिर्फ सफाई दरोगा पर ही निर्भर रहते हैं। जबकि सफाई दरोगा वार्डों में सक्रिय नहीं हैं। वे सिर्फ प्लेसमेंट के सफाई कर्मचारियों पर ही जिम्मा थोप कर अपने कर्तव्यों से पल्ला झाड़ लेते हैं। कचरों के ढेर और जाम नालियों में बारिश का पानी जाम होने से यहां डेंगू, मलेरिया जैसे मच्छर पनपने लगे हैं। इसके बाद भी निगम के अधिकारी व शहर सरकार के मंत्री शांत बैठे हुए हैं। ऐसी बात नहीं है कि इसकी जानकारी निगम के अधिकारियों, महापौर व मेयर इंन कौंसिल के सदस्यों को नहीं है। सब जान कर भी इस ओर गंभीरता दिखाने के बजाय अंजान बने हुए हैं।
गारबेज फ्री प्वाइंट का भी नहीं कोई औचित्य
पहले जहां लोग कचरा फेंकते थे उन स्थानों को चिन्हांकित कर नगर निगम द्वारा वहां गारबेज फ्री प्वाइंट बनाया गया था और पौधे लगाकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया गया था। खास बात यह है कि उन्हीं स्थानों पर लोग फिर से गंदगी करने लगे हैं। क्योंकि इसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है। निगम ने शहर में जितने गारबेज फ्री प्वाइंट नहीं बनाए उससे ज्यादा तो गारबेज प्वाइंट बन गए हैं। इस पर नियंत्रण की जिम्मेदारी वार्ड पार्षदों की भी है, लेकिन जहां सफाई की बात आती है सब अपने हाथ पीछे खींच लेते हैं, क्योंकि इसमें सबका अपना कमीशन बंधा हुआ है।
सफाई दरोगा पर नहीं अधिकारियों का नियंत्रण
नगर निगम द्वारा सभी 48 वार्डों में साफ-सफाई का जिम्मा निगम के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत सफाई दरोगाओं को सौंप दिया गया है, लेकिन ये सफाई दरोगा सिर्फ नाम के ही हैं, इनका काम कभी देखने को नहीं मिलता। पहले निगम कमिश्नर द्वारा किसी भी वार्ड में कचरे के ढेर नजर आने या शिकायत मिलने पर संबंधित सफाई दरोगा पर कार्रवाई की जाती थी, लेकिन अब यह भी बंद हो गया है। जिससे सफाई दरोगा अपने दफ्तरों में आराम फरमाते नजर आते हैं। वहीं शहर की सफाई का जिम्मा स्वीपरों व प्लेस्मेंट कर्मचारियों पर थोप देते हैं। इसी का नतीजा है कि आज शहर कचरों के ढेर में बसा हुआ है।
शहर में बढ़ते कचरों के ढेर (गारबेज प्वाइंट) को कम करने सफाई दरोगाओं की जिम्मेदारी तय करेंगे। साथ ही कचरों के उठाव के लिए संसाधन में बढ़ोत्तरी करेंगे। इसके लिए शासन से मांग की गई है। इसके अलावा वर्तमान में लोग यूजर चार्ज से बचने के लिए अपने आसपास कचरा फैला रहे हैं, उन्हें जागरूक करने काम चल रहा है।
– सुनील कुमार चंद्रवंशी, निगम कमिश्नर,

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